केरल के पुत्तिंगल मंदिर में पिछले दिनों आग लगने से काफी नुकसान हुआ। करीब 120 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए। पटाखे जलाने से हुए इस हादसे से हमें सबक लेना चाहिए, आखिर हम अपनी मनमानी कब तक करेंगे? हम मंदिर मन की शांति, आत्मशुद्धि के लिए जाते और ईश्वर शांतिप्रिय होते हैं, शोरगुल से दूर एकांत मेें वास करते हैं, तो फिर पटाखे जलाने का यह कैसा रिवाज है? क्या इससे ईश्वर नाराज नहीं होते? ईश्वर का घर (मंदिर) के आसपास पटाखे जलाना वर्जित है, लेकिन नियम तोडऩा हमारी फितरत बन चुकी है। जब भी नियम तोड़ा जाएगा, ऐसा हादसा जरूर होगा।
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